दो निवाले कम खाए मगर अपने बच्चों को जरूर पढ़ाए

दो निवाले कम खाए मगर अपने बच्चों को जरूर पढ़ाए !


जिंदगी  में  हौंसले  आजमाया  करो
मुश्किलें  देख  कर  मुस्कुराया  करो
दो  निवाले भले ही  कम खाया करो
अपने बच्चों को लेकिन पढ़ाया करों

इल्म, ज्ञान, शिक्षा नॉलेज शब्द एक दूसरे के पर्यायवाची है। देखने में सभी शब्द बहुत छोटे हैं मगर इन्ही शब्दों के सहारे पूरी दुनिया चल रही है। यदि एक मिनट के लिए सोचा जाए कि दुनिया से इल्म या ज्ञान पूरी तरह से खत्म हो जाए तो क्या होगा ? तुम तुम्हारे और हम हमारे ! यानि किसी का किसी से कोई लेना-देना ही नहीं होगा। दुनिया पूरी जंगल बन जाएगी और फैल जाएगा जंगलराज। इसलिए इल्म या ज्ञान इंसान के लिए बेपनाह जरूरी है।

एक सामान्य जिन्दगी जीने के लिए इंसान को रोटी, कपड़ा और मकान के अलावा अगर किसी चीज की सबसे ज्यादा जरूरत होती है वह है ज्ञान।  क्योंकि ज्ञान वह बैसाखी है जिसके सहारे इंसान,  इंसानियत का तरीका सीखता है। 

बेइल्म इंसान, जाहिल इंसान और अनपढ़ इंसान जानवरों से बदतर जिंदगी गुजारते है  जब तक इंसान के पास ज्ञान या इल्म नहीं है वह तरक्की की राह पर आगे नहीं बढ़ सकता है। मगर इल्म हासिल करने वाला अवश्य ही तरक्की की मंजिलों को तय करता हुआ बुलंदी हासिल करता है। यानि इल्म वो शमां है जो इंसान की जिंदगी की राह को रोशन करती है जिसके ज्ञान के ऊजाले के सहारे इंसान हर तरह से अपनी जिंदगी रोशन करता है। इसलिए इंसान को जहां से भी जो इल्म मिले उसे हासिल करते रहना चाहिए क्योंकि इल्म से ही बुलंदी नसीब होती है। इसलिए कहा गया है -

खुदी  को  कर  बुलंद इतना कि हर तकदीर से
पहले खुदा बंदे से खुद पूछे तेरी रजा क्या है ? 

राजस्थानी भाषा के अनुसार ''मिनख पेट भरण रे पछे पेटी भरण री सोचे अर धापयोड़ो ऊंट ओड़ी गुडकाय देवे।'' अर्थात ज्ञान या इल्म के माध्यम से ही इंसान को यह मालूम होता हैं कि आज की बचत कल काम देगी इसलिए इंसान पेट भरने के बाद भविष्य के लिए इकट्ठा करने की सोचता है, मगर ज्ञान नहीं होने के कारण ही जानवर पेट भर जाने के पश्चात सामने रखे उस चारे को भी पलट देता है जिससे उसका पेट भरता है। इस तरह ज्ञान के माध्यम से इंसान और जानवर के फर्क को समझा जा सकता है। इसी ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए कहा गया है -

           घर के बाहर रास्ते में भी जला दो कुछ दिए
           ये न सोचो कौन गुजरेगा इधर से ओर किसलिए ?

ज्ञान वह इनवेस्टमेंट हैं जिसका मुनाफा जीवन के अंत तक मिलता रहता है। यानि दुनिया की हर वस्तु खर्च करने के बाद अवश्य खत्म होती है। मगर शिक्षा या इल्म ऐसा धन है जिसे जितना अधिक खर्च किया जाएगा वह उतना ही अधिक बढ़ता जाएगा । दुनिया की हर वस्तु की चोरी हो सकती है मगर ज्ञान ऐसा धन है जिसकी कभी चोरी नहीं हो सकती। ज्ञान में कमी तभी हो सकती है जबकि इसे खर्च नहीं किया जाए या इकठ्ठा  करके रखा जाए। इसलिए ज्ञान को बांटते व हासिल करते रहना जरूरी है।

दुनिया का सबसे शक्तिशाली पुरूष वह नहीं है जिसके पास पावर, शक्ति या सल्तनत है, बल्कि वह ज्ञानवान है जिसकी कलम में ताकत है। इसलिए कि पावर आज है कल नहीं होगा, शक्ति आज है तो कल नहीं  होगी मगर कलम की ताकत तलवार से भी तेज होती है। इसलिए शास्त्र का ज्ञान शस्त्र ज्ञान से अधिक प्रभावशाली होता है। शस्त्र तभी तक कारगर है जब तक कि वह चल सकता है। मगर शास्त्र का ज्ञान कभी खत्म नहीं होता।

इतिहास गवाह हैं पूर्ववर्ती राजा-महाराजा अपनी शक्ति के बल पर वहीं तक जाने-पहचाने जाते थे, जहां तक उनका साम्राज्य होता था। यानि वे केवल अपनी प्रजा के ही प्रिय बन सके। मगर दुनिया को नायाब तोहफे देने वाले यानि ज्ञान के बल पर विज्ञान के आविष्कार करने वाले वैज्ञानिक या अपने-अपने हुनर के माहिर लोगों को केवल एक क्षेत्र या एक देश के लोग ही नहीं वरन् पूरी दुनिया याद करती है, साथ ही जब तक दुनिया रहेगी तब तक याद किया जाता रहेगा। 

बल्ब का आविष्कार करने वाले एडिसन, भाप के इंजिन के आविष्कारक जेम्स वाट, टेलिफोन की खोज करने वाले ग्राहम बैल, शब्दों को सुरीली व मीठी तान देने वाले मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर, मिसाइलमेन अब्दुल कलाम को कोई चाहकर भी भुला नहीं पाएगा। ये वे लोग हैं जिन्होंने जन्म चाहे कहीं पर लिया हो, शिक्षा कहीं पर प्राप्त की हो मगर वे पूरी दुनिया की मानव जाति के लिए आइडल व प्रेरणा-स्रोत बने हुए हैं। इसलिए कहा भी गया है -

परिंदो को मंजिल मिलेगी यकीनन,
ये  फैले  हुए  उनके  पर  बोलते  हैं।
अक्सर  वो  लोग  खामोश  रहते हैं,
जमाने  में  जिनके हुनर बोलते हैं।।

ज्ञान वह कवच है जो जीवन में आने वाली कठिनाइयों से इंसान की रक्षा करता है और उन कठिनाइयों का सामना करना सीखाता है। ज्ञान नहीं होने पर इंसान हीरों की खान में रहकर भी उनकी पहचान नहीं कर पाता है। इसलिए अपने इल्म को बढ़ाना आवश्यक है क्योंकि हीरे की कीमत को जौहरी ही पहचानता है। 

आज के दौर की हर कौम के मुखिया के साथ-साथ परिवार के मुखिया के लिए यह जरूरी हैं कि वे खुद अगर अच्छी शिक्षा नहीं पा सके हैं तो कोई बात नहीं मगर अपने बच्चों को उन्हें पूरी कोशिश कर अच्छी शिक्षा देने के लिए आगे आना चाहिए। केवल सोचते रहने से कुछ नहीं होगा, आगे बढ़कर पहल भी करनी पड़ेगी। इस पहल को अंजाम देने के लिए चाहे घर में दो निवाले कम खाए मगर अपने बच्चों को जरूर पढ़ाए। क्योंकि

सोचने से कहां मिलते  हैं तमन्नाओं के शहर,
चलना भी जरूरी है मंजिल को पाने के लिए।


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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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13 comments:

  1. Such a nice bhai saab kya शानदार लिखा है

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  2. Janab bahut hi shandar article he

    2 nivale kam khayenge par apni nasl ko be Elam nahi rakhenge.

    Vese bhi aaj ka dour Elam ka dour he aur etihas gavah he jis koum ne Elam hasil kiya us koum ne traaki ki he.
    Hamare samne CHARAN VISHNOI samaj he in ko hi dekh lo.

    Aaj ye education ki badaulat hi etni unchai pr he.

    जवाब देंहटाएं
  3. Janab bahut hi shandar article he

    2 nivale kam khayenge par apni nasl ko be Elam nahi rakhenge.

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  6. बहुत ही उम्दा आलेख इल्म की मुताल्लिक़। बहुत बहुत मुबारकबाद अल्लाह रब्बुल इज्जत आपकी कलम से ऐसे ही काम लेते रहे ताकि कौम के लिए बेहतर जरिया बने।आमीन सुम्माआमीन

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  7. होता लेकिन आपका लिखने Kइ Aहोता लेकिन आपका लिखने का VISAY AAJ KI SAMAJ KI HALAT KO UJAGAR KARNE KE LIYA SUNDER HAIAAK BAR FIR SE DHANYAWAD



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