जीत की खातिर बस जुनून चाहिए
ना टूटे हिम्मत अभी कुछ हौंसला बाकी रख,
जीत निश्चित है तेरी तू संघर्ष जारी रख।
जो मंजिल की चाह रखते हैं वे समुद्र पर भी पुल बना देते हैं। संघर्ष में आदमी अकेला होता है, सफलता में दुनिया उसके साथ होती है। जिस-जिस पर जग हंसा है इतिहास गवाह है उन्हीं ने इतिहास रचा है। एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद दूसरे सपने देखने के होंसले को जिंदगी कहते हैं।
जिंदगी में सफल होना हैं तो एक लक्ष्य बनाए और उसे पूर्ण करने के लिए अंतिम सांस तक प्रयास करते रहे साथ ही मन में "हम होंगे कामयाब एक दिन..." के विश्वास पर कायम रहेंं, तो अवश्य ही सफलता हासिल होती है।
महावत हाथी के छोटे बच्चे को मोटी-मोटी मजबूत रस्सियों से बांधता है। हाथी का बच्चा उसको तोडऩे की भरपूर कोशिश करता है और इस चक्कर में हाथी के बच्चें के पैर जख्मी व लहुलुहान तक हो जाते हैं। कुछ समय तक यह प्रक्रिया जारी रहती है उसके पश्चात हाथी के बच्चे के मन में यह विश्वास पैदा हो जाता हैं कि मैं इस रस्सी को तोड़ नहीं सकता। इसके पश्चात हाथी का बच्चा उस रस्सी को तोडऩे का प्रयास नहीं करता है।
जब हाथी के बच्चे के मन में यह विचार पूरी तरह से बैठ जाता है तो उसके पश्चात वह रस्सी को तोडऩे का प्रयास कभी नहीं करता है। उसके पश्चात महावत उसे पतली सूत की रस्सी से ही बांधना शुरू कर देता है।
इस तरह व्यस्क होने के पश्चात भी उस हाथी के पांव में महावत बहुत पतली सूत की रस्सी बांध कर उसे केवल एक बांस के सहारे भी बांध देता है तो हाथी उसे कभी तोडऩे का प्रयास नहीं करता है।
इसी तरह सफलता के लिए इंसान को मन में यह इच्छा शक्ति पैदा करनी पड़ती हैं कि मैं इस लक्ष्य को हासिल कर सकता हूं। इसी मजबूत इच्छा शक्ति व विश्वास के दम पर बड़ी से बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है।
इस बात को गहराई से जानने के लिए एक घटना की तरफ चलते हैं। यूपी की एक लड़की 12 जनवरी 2011 को लखनऊ से देहरादून जाने वाली ट्रेन में सफर कर रही थी। ट्रेन में भीड़ होने के कारण दरवाजे के पास खड़ी थी। गले में पहनी सोने की चेन पर किसी बदमाश की नजर पड़ी। उसने लड़की के गले से सोने की चेन खींचकर बरेली के निकट उसे बाहर धक्का दे दिया। लड़की चलती ट्रेन से बाहर गिरी, दूसरे ट्रेक पर भी ट्रेन आने के कारण उससे टकराकर नीचे गिर पड़ी।
उसके दोनों पांव चलती ट्रेन के नीचे आने से कट गए। जंगल व सूनसान इलाका होने के कारण वह रात भर वहीं पड़ी रही। एक ट्रेन आई, एक गई इस तरह पूरी रात 49 ट्रेनें गुजरी। इसके बाद भी वह जिंदा थी। सुबह होने पर उसने देखा कि पांव पर चिंटिया रेंग रही है। चूहे भी घूम रहे थे। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी।
इस दौरान उसने मन में सोचा कि यदि 49 ट्रेन के गुजरने के बाद भी वह जिंदा है तो इसका मतलब है, ईश्वर ने उसे किसी विशेष काम के लिए जिंदा रखा है।
सुबह जब किसी की नजर उस पर पड़ी तो उसे अस्पताल पहुंचाया गया। अस्पताल में उसका इलाज प्रारंभ हुआ, तो मालूम पड़ा कि उसकी दोनों टांगे कट चुकी है। रीढ़ की हड्डी में भी भारी फ्रेक्चर है। इस कारण शायद वह कभी सीधी बैठ भी पाएगी या नहीं। ऐसी हालत में जब डाक्टर ने उससे कुछ जानकारी चाही तो उसने कहा, मुझे बछेन्द्री पाल से मिलना है।
अस्पताल से छुटï्टी मिलते ही वह सबसे पहले बछेन्द्री पाल के पास पहुंची और उससे कहा कि मुझे एवरेस्ट फतह करना है। बछेन्द्री पाल ने उसकी हालत देखी, जिसकी दोनों टांगे कट चुकी हो, कमर में भारी फ्रेक्चर के कारण जिंदगी में कभी वह खड़ी भी हो पाएगी या नहीं इसकी भी संभावना नहीं के बराबर।
ऐसी हालत में उसके मन के दृढ़ निश्चय को देखकर बछेन्द्री पाल ने जवाब दिया, तुमने इस हालत में यह निर्णय लिया। इसका मतलब यह हैं कि तुमने तो एवरेस्ट फतह कर लिया, केवल इतिहास में तारीख आना बाकी है।
उस लड़की ने अपनी हिम्मत व दृढ़ विश्वास के बल पर आगे चल कर 21 मई 2013 को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउण्ट एवरेस्ट फतह कर लिया। इसके पश्चात भी उसने एक-एक कर दुनिया की सातों ऊंची चोटियों पर पहुंचने का श्रेय हासिल किया। इस उपलब्धि पर उसे पद्मश्री अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। उस लड़की का नाम है - डॉ. अरूणिमा सिन्हा।
सबसे बड़े रोग-क्या कहेंगे लोग से दूर रहने के साथ जुनून, जज्बे, अटल निर्णय के कारण कुछ भी असंभव नहीं है। बस इंसान में कुछ कर गुजरने की तमन्ना पैदा होने की देर है। आसमान भी जमीन पर आ सकता है। क्योंकि -
जीत की खातिर बस जुनून चाहिए,
जिसमें उबाल हो ऐसा खून चाहिए।
यह आसमान भी उतर आएगा जमीन पर,
बस इरादों में जीत की गूंज चाहिए।
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