तेज रफ्तार दुनिया के पहियों को कोरोना ने लगा दिया ब्रेक
चलते समय-चक्र के साथ इतिहास में कुछ ऐसी घटनाएं घट जाती है, जिसकी इंसान ने कभी कल्पना भी नहीं की होती है।
दुनिया में कुछ समय के लिए प्रकट होने वाली ये वो घटनाएं है, जो कुछ समय तक अपना प्रभाव दिखाने के पश्चात खत्म तो हो जाती है मगर अपना एक ऐसा नासूर या जख्म छोड़ जाती है, जिसको रहती दुनिया तक भुलाया नहीं जा सकता। कई दशकों या सदी के बाद घटने वाली ये वो घटना होती है जो इंसानियत का झकझोर देती है।
जिसने इन महामारी का सामना किया हो या जिसने इस महामारी कारण किसी अपने को खोया हो, वो चाहकर भी इसे भुला नहीं पाता। वह तो इन घटनाओं के नाम लेने मात्र से ही सिहर उठता है। उसकी रूह तक कांपने लगती है।
इतिहास में ऐसी कई घटनाएं जैसे छठी सदी में यूनानी साम्राज्य में फैला जस्टिनियन प्लेग, पहले विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद फैला स्पेनिश फ्लू, 14 वी सदी में यूरोप में फैली महामारी द ब्लेक डेथ,19 वीं सदी में तीसरी प्लेग महामारी, सहित एचआईवी एड्स जैसी महामारी ने दुनिया को समय-समय पर हिला कर रख दिया।
इसी तरह वर्तमान में दिसम्बर 2019 में चीन के वुहान शहर से निकली कोविड19 कोरोना महामारी ने पूरी दुनियां को अपने शिकंजे में कस लिया है। सभी देश के नागरिक इसके दंश को भुगत रहे हैं। आंखों से दिखाई नहीं देने वाले जीवाणु ने पूरी दुनिया के निजाम को रोक दिया है। ऐसी घटना के बारे में कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।
बेहद तेजी से फैलने वाले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में खौफ का माहौल पैदा कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इसे एक वैश्विक महामारी घोषित कर चुका है और अगर दुनिया इस समय पर्याप्त सावधानी नहीं बरतती है तो स्थिति बेहद बुरी हो सकती है।
इस महामारी के दंश को बहुत से लोगों ने भोगा है, कई परिवारों ने अपनों को खोया है। इस महमारी का कोई परमानेंट इलाज भी अभी तक नहीं मिला है। इसकी चपेट में आने वालों को चिकित्सा विभाग रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्युनिटी बढ़ाने वाली दवाओं या अन्य माध्यमों से ठीक करने का प्रयास कर रहा है।
समय-समय पर राज्य व केन्द्र सरकार द्वारा भी एडवाइजरी जारी की जा रही है। उसका पालन करके ही इस महामारी से बचा जा सकता है। यानि इस महामारी से बचाव ही इलाज है। सबसे बड़ी बात यह हैं कि इस महामारी से बचने के लिए ज्यादातर समय घर पर रहकर ही बचाव किया जा रहा है।
इस महामारी के कारण सरकारी डिपार्टमेंट, प्राइवेट कम्पनियां, स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, कॉचिंग क्लासेज, धार्मिक स्थल, मॉल सभी बंद है, इस तरह बचाव कर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन कर बचने के प्रयास जारी है।
इतिहास पर नजर डाले तो पता चलता हैं कि ये पहली महामारी नहीं है जिससे दुनिया हिल गई हो, दुनिया में इससे पहले भी समय-समय पर कई घातक महामारियों का सामना किया जा चुका है। इतिहास की अब तक की सबसे घातक महामारियां और भी हैं जिन्हें इतिहास में कभी भुलाया नहीं जा सकता -
जस्टिनियन प्लेग
छठी शताब्दी के 541 ई. में फैले जस्टिनियन प्लेग को भी भुलाया नहीं जा सकता। मिस्र से फैलना शुरु होने वाली इस बीमारी ने धीरे-धीरे भूमध्य सागर के आसपास के पूरे इलाके और यूनानी साम्राज्य को अपनी चपेट में ले लिया था। अगली दो सदी तक ये बीमारी आती-जाती रही और इससे लगभग पांच करोड़ लोगों की मौत हुई जो उस समय की वैश्विक जनसंख्या का लगभग 26 प्रतिशत था।
'द ब्लैक डेथ'
14वीं सदी में एशिया से फैलना शुरू हुई ये बीमारी अक्टूबर 1347 में इटली के मेसीना बंदरगाह पर आए 12 जहाजों के साथ यूरोप में पहुंची। इन जहाजों में ज्यादातर लोग मृत पाए गए और जो जिंदा थे, वे बेहद बीमार थे। जहाजों को तत्काल वापस भेज दिया गया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और बीमारी धीरे-धीरे पूरे यूरोप में फैल गई। 'द ब्लैक डेथ' के नाम से पहचानी गई इस महामारी के कारण केवल यूरोप में लगभग दो करोड़ लोगों की मौत हुई थी।
'तीसरी प्लेग महामारी'
1855 में फैली 'तीसरी प्लेग महामारी' भी दुनिया के इतिहास की घातक बीमारी साबित हुई। ये प्लेग चीन से फैलना शुरू हुआ और जल्द ही भारत और हांगकांग में पहुंच गया। भारत में इस वायरस के कारण सबसे अधिक मौतें हुईं और इसे लेकर अंग्रजों को विरोध का सामना भी करना पड़ा। कहा जाता हैं कि पूरी दुनिया में इससे लगभग 1.5 करोड़ लोगों की मौत हुई थी।
1918 का स्पेनिश फ्लू
पहले विश्व युद्ध के दौरान सैन्य कैम्प से स्पेनिश फ्लू का शुभारंभ माना जाता है। युद्ध खत्म होने के बाद अपने देश लौटने वाले सैनिकों से इस बीमारी की शुरूआत हुई थी। 1918 में फैले 'स्पेनिश फ्लू' को इतिहास की सबसे घातक महामारी माना जाता है और इस महामारी के कारण उस समय करीब 5-10 करोड़ लोगों की मौत हुई थी। ये 1919 में खत्म हो गया।
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