शेखावाटी के सितारे की चमक हरियाणवी गीतों में झिलमिला रही है
मेहनत इतनी खामोशी से करो
कि कामयाबी शोर मचा दे।।
इस बात को पूरी तरह से सही साबित कर दिखाया 16 जुलाई 1982 को श्री जसमालसिंह शेखावत व श्रीमती शान्ति देवी के घर शेखावाटी में जन्मे सुपुत्र गिरवर शेखावत ने। जिसने अपनी लगन, मेहनत और कुछ कर गुजरने की तमन्ना व जुनून के कारण हरियाणवी गीतों में अपनी अमिट छाप बनाई।
छोटे पर्दे के हरियाणवी स्टेज कार्यक्रम हो या गीतों की महफिल, गानों को लिखने का कार्य हो या उनको लय-ताल देने का कार्य गिरवर शेखावत को इस कार्य मे महारत हासिल हो चुकी है। पढऩे व सुनने में यह जितना आसान नजर आ रहा है हकीकत में यह कार्य इतना आसान नहीं था। मगर उन्होंने यह सोच लिया था कि -
जिंदगी में मुसीबत आए तो कभी घबराना मत
गिरकर उठने वाले को ही तो बाजीगर कहते हैं
इस कामयाबी की मंजिल तक पहुंचने के लिए गिरवर शेखावत ने बहुत पापड़ बेले है, कई प्रकार के ताने व तंज झेले हैं, तब कहीं जाकर आज कामयाबी उनके आस-पास घूम रही है।
त्याग, तपस्या और बलिदान की भूमि राजस्थान के शेखावटी के झुंझूनू जिले की खेतड़ी तहसील के चिरानी गांव में एक साधारण परिवार में जन्मे गिरवरसिंह शेखावत के पिता श्री जसमालसिंह शेखावत ने हिन्दूस्तान कॉपर लिमिटेड़ में नौकरी कर परिवार का पालन पोषण किया। उनके परिवार में एक बड़ा भाई, दो बड़ी बहने व एक छोटी बहन है।
गांव के सरकारी स्कूल में अध्ययन के साथ ही गाना, बजाना व डांस के प्रति झुकाव हो गया था। इससे गिरवर शेखावत ने बचपन से ही स्कूल की में आयोजित होने वाले सभी प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू किया व फाल्गुन उत्सव में भी चंग व डफली के साथ अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए जी-जान से जुट गए।
उनके इस कार्य को देखकर उन्हें कई बार उलाहना भी सहना पड़ा कि क्षत्रिय परिवार में जन्म लेकर ये नाच-गाने वाले कार्य शोभा नहीं देते। इन बातों को लेकर उन्होंने कहा कि -
डर मुझे भी लगा फासला देख कर
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर
खुद ब खुद मेरे नजदीक आती गई
मेरी मंजिल, मेरा हौंसला देख कर
मगर प्रतिभा व जुनून में डूबे हुए को लक्ष्य के अलावा कुछ दिखाई व सुनाई नहीं देता। उन्होंने लोगों व समाज की इन बातों का कोई जवाब नहीं दिया मगर मन में यह प्रण कर लिया था कि इन सभी को जवाब समय के साथ उनकी कामयाबी देगी। उन्होंने इस बात से प्रेरणा ली कि -
जिंदगी में रिस्क लेने से डरो मत तो ही जीत मिलेगी
और अगर हार भी गए तो एक नहीं सीख मिलेगी
वैसे भी जिंदगी जीने के सिर्फ दो तरीके होते हैं, जो पसंद है उसे हासिल करो या जो हासिल है उसे पसंद करो। उन्होंने पहले वाले रास्ते को चुना और अपने लक्ष्य के लिए तन्मय होकर लग गए।
रास्तो को मत बदलो, रास्ते बनाओ की बात पर अमल करते हुए आखिर मेहनत, लगन व दृढ़ निश्चय के साथ वह मुकाम शेखावत ने हासिल कर ही लिया।
कल जो उनकी प्रतिभा को देखकर उलाहना देते थे वे आज उनकी प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि लड़के ने जी-तोड़ मेहनत कर आज गांव का नाम रोशन किया है।
इसलिए कहा जाता हैं कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। इंसान को अपने काम पर ध्यान देना चाहिए न कि लोगों की बातों पर। दुनियां का क्या है वह तो हर तरफ बोलती है।
श्रीमद् भगवत गीता में कहा गया हैं कि कर्म किए जा फल की चिंता मत कर और यदि इंसान कर्म करता हैं तो कामयाबी उसे आकर ढूंढ़ ही लेती है, यानि ईश्वर के घर देर हैं अंधेर नहीं।
गिरवर शेखावत के साथ भी ऐसा ही हुआ वे चिरानी में नवरात्री के अवसर पर माता रानी के दरबार में प्रति वर्ष अष्टमी की रात्रि को होने जागरण कार्यक्रम में मंच संचालन का कार्य कर रहे थे।
उसी कार्यक्रम में उपस्थित कलाकार संदीप सांवरिया की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने कार्यक्रम समाप्ति के पश्चात कहा कि तुम संचालन तो अच्छा कर ही लेते हो, मगर साथ में हरियाणवी गानों का भी अभ्यास किया करो।
उनकी इस बात पर गौर कर शेखावत ने हरियाणवी गानों पर मेहनत शुरू की, इस कार्य में संदीप सांवरिया ने पूरा साथ दिया। इस प्रकार अकस्मात मिले संगीत गुरू के सान्निध्य में जो शुरूआत हुई तो आगे बढऩे के लिए रास्ता मिल गया। लगातार प्रयास के बाद कामयाबी मिलने का समय भी आ गया।
सन 2018 में 4 जी फिल्मस् म्यूजिक चैनल पर ''पर्वत की ओट में..'' भजन एलबम में गिरवर शेखावत द्वारा गाया प्रथम भजन आया, जो बहुत पोपूलर हुआ और गुमनामी की दुनिया से श्री शेखावत ने पहली बार कामयाबी की तरफ कदम बढ़ाया।
उसके बार एक के बाद एक कर कई एलबम में उनके गीत व भजन आने लगे और धीरे-धीरे कामयाबी की तरफ कदम बढ़ाना शुरू किया। आज हरियाणवी गानों में नाम कमाते जा रहे हैं उनके फोलोवर्स की संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है।
इस कार्य में उनको एक साथी विकास दौराता मिल गया, जो उनके गाए गानों पर अभिनय करते हैं। सन 2020 में गिरवर शेखावत व विकास दौराता की जोड़ी ने मिलकर धाम चिरानी में भजन एलबम में प्रस्तुति दी। जिसे दर्शकों की तरफ से बहुत सराहा गया।
इस तरह कामयाबी की तरफ बढऩा शुरू हो गए हैं। सन 2018 में इनको करणी सेना खेतड़ी की ओर से उभरते राजपूत समाज के सितारे का अवार्ड देकर सम्मानित भी किया गया।
मेरी भी कामना हैं कि उनकी यह कामयाबी कभी कम ना हो, और जिंदगी में उनके कभी गम ना हो। दुनिया रहे तब-तलक उनकी शोहरत कम ना हो। और आखिर में सिर्फ अपने मित्र के लिए इतना ही कहूंगा कि -
क्यूं डरे कि जिंदगी में क्या होगा
हर वक्त क्यूं सोचे कि बुरा होगा
बढ़ते रहे हम मंजिलों की ओर
कुछ न मिला भी तो क्या तजुर्बा तो नया होगा
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