लोकेर कथा दिस न काने, फिरिस न आर हजार टाने।
येन रे होर हृदय जाने, हृदय तोर आछेन राजा।।
बंगला भाषा की इन पंक्तियों के अनुसार लोगों की बातों पर ध्यान मत दो, लोग तुम्हें हजार तरीके से रोकने का प्रयास करेंगे, तुम्हारे दिल में एक राजा रहता है उसकी बात मानों अर्थात अपनी मन की आवाज सुनों और उस पर लब्बेक कहते हुए अपने लक्ष्य पर नजरे टिकाए रखो, मंजिल अवश्य मिलेगी।
अंगेजी के शब्द FAIL का अर्थ भी होता हैं First Attempt In Learning (सीखने की ओर प्रथम प्रयास) तो इससे क्यूं निराश हुआ जाए। सीखने की तरफ अगला कदम बढ़ाना चाहिए और इस तरह अगर हम लगातार कदम बढ़ाएंगे यानि प्रयास करेंगे तो निश्चित ही कामरानी एक न एक दिन हमारे कदम चूूमेगी यानि कामयाबी मिल कर ही रहेगी। क्योंकि जिन्हें अपने कदमों की काबिलियत पर भरोसा होता है वे ही अक्सर मंजिल तक पहुंचते हैं
सफलता का एक मात्र शॉर्टकट मेहनत है। साथ ही सक्सेस के लिए यह भी जरूरी हैं कि हमें इस बात को मन से निकालना पड़ेगा कि लोग हमारे बारे में क्या कहेंगे, तो इसका भी उत्तर भी यही हैं ''लोग कोशिश करने वाले का साथ कभी नहीं देते मगर हर कामयाब आदमी के पीछे घूमते हैं।'' अगर हम भी चाहते हैं कि लोग हमारे पीछे हमारी कहानी सुनने के लिए घूमे तो पहले हमें कामयाबी हासिल करनी पड़ेगी और उसके लिए हमें बहरा बनना पड़ेगा। आइए इसके बारे में एक छोटी सी कहानी को जानते हैं -
एक बार बहुत से मेंढ़कों का झुण्ड पहाड़ पर चढऩे का प्रयास कर रहा था, उनमें रेस लगी थी कि कौन पहाड़ की चोटी पर पहले पहुँचता है। सभी तन्मय होकर रेस में भाग ले रहे थे। इसी जोश में जैसे ही वे पहाड़ की तरफ कुछ ऊपर चढ़ते तो फिसल कर गिर पड़ते। मेंढ़कों ने प्रयास जारी रखा लेकिन वे थोड़ा और ऊपर चढ़तेे तो फिर गिर पड़ते, कुछ मेंढ़क काफी ऊपर तक चढ़ कर गिर गए, इस तरह ज्यादातर मेंढ़क गिर गए, लेकिन कुछ लगातार ऊपर चढऩे का प्रयास कर रहे थे तो नीचे वाले मेंढकों के चिल्लाने व उनकी कही बातों को सुनकर नीचे गिर गए। मगर एक मेंढ़क ऊपर चढ़ता ही जा रहा था। नीचे वाले मेंढ़क जोर-जोर से चिल्ला रहे थे कि ज्यादा ऊपर मत चढ़ नहीं तो नीचे गिरेगा तो बच भी नहीं पाएगा, तेरी हडिडया टूट जाएगी। मगर वह फिर भी चढ़ता गया और आखिर चोटी पर पहुंच गया। आखिर कैसे ? क्योंकि वह बहरा था। नीचे वाले मेंढ़क जब उसे नीचे ऊतरने के लिए कह रहे थे तो वह समझ रहा था कि मेरे साथी मुझे ऊपर चढ़ता देखकर उत्साहित हो रहे हैं। वे मुझे होंसला दे रहे हैं। मुझे कामयाब होकर रहना है और वह कामयाब हो गया।
ठीक इसी प्रकार हमें भी अपनी कामयाबी की सीढ़ी पर चढ़ते समय कौन क्या कह रहा हैं, इस बात पर कतई ध्यान नहीं देना है, क्योंकि जो हमें आगे बढ़ता देखकर हौंसला पस्त करने की बात कर रहे थे यही कामयाब होने पर सबसे पहले माला लेकर आऐंगे और हमारी कामयाबी की कहानी को बैचेनी से सुनेंगे। वैसे भी हर कामयाब व्यक्ति के जीवन में झांक कर देखे तो यही निष्कर्ष निकलता हैं कि उन्होंने अपनी मंजिल की तरफ के अंधेरों से अकेले मुकाबला किया है तब कहीं जाकर उनकी आंखों को कामयाबी का उजाला नसीब हुआ है। इस तरह जिनमें अकेले चलने का हौंसला होता हैं उनके पीछे ही एक दिन काफिला होता है।
भाग्य के भरोसे बैठे रहने से मंजिल कभी नहीं मिलती। किस्मत के भरोसे बैठने वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है जो परिश्रम करने वाले छोड़ देते हैं। वैसे खुदा भी उनका ही साथ देता है जो हिम्मत करता है। इसलिए हमें हिम्मत की कुदाली को हाथ में लेकर कर्म के खेत में हल तो चलाना ही पड़ेगा तभी को कामयाबी की फसल हमारी जिन्दगी में लहलहाएगी और खुशहाली के फल लगेंगे ।
इसलिए अपनी जिन्दगी में अपना लक्ष्य स्वयं निर्धारित कर अपने तरीके से उसे हासिल करने का प्रयास करो क्योंकि -
जिंदगी जीनी है तो अपने तरीके से जिओ
अंगेजी के शब्द FAIL का अर्थ भी होता हैं First Attempt In Learning (सीखने की ओर प्रथम प्रयास) तो इससे क्यूं निराश हुआ जाए। सीखने की तरफ अगला कदम बढ़ाना चाहिए और इस तरह अगर हम लगातार कदम बढ़ाएंगे यानि प्रयास करेंगे तो निश्चित ही कामरानी एक न एक दिन हमारे कदम चूूमेगी यानि कामयाबी मिल कर ही रहेगी। क्योंकि जिन्हें अपने कदमों की काबिलियत पर भरोसा होता है वे ही अक्सर मंजिल तक पहुंचते हैं
भाग्य के भरोसे बैठे रहने से मंजिल कभी नहीं मिलती। किस्मत के भरोसे बैठने वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है जो परिश्रम करने वाले छोड़ देते हैं। वैसे खुदा भी उनका ही साथ देता है जो हिम्मत करता है। इसलिए हमें हिम्मत की कुदाली को हाथ में लेकर कर्म के खेत में हल तो चलाना ही पड़ेगा तभी को कामयाबी की फसल हमारी जिन्दगी में लहलहाएगी और खुशहाली के फल लगेंगे ।
जिंदगी जीनी है तो अपने तरीके से जिओ
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