कसूर किसका

कसूर किसका ?


शादी वो लड्डू है जो न खाये वो पछताये और जो खाये वो भी पछताये। इस बात की हामी भरते हुए भी ज्यादातर इस लड्डू का स्वाद चखते है। इसी रस्ते पर चलते  हुए अमीर ने भी शादी की। 

बात कुछ समय पहले की है। शादी को लेकर हर-एक के मन में उत्साह होता है, एक नई उम्मीद ओर नया खुमार होता है। उसी तरह अमीर का दिल भी बहुत खुश था। ज्यों ज्यों शादी के दिन नजदीक आ रहे थे उसके मन में अजीब तरह की ख़ुशी का संचार हो रहा था। मन खुशी से झूम रहा था, मगर साथ ही इंतजार के दिन सालों की तरह लम्बे होते जा रहे थे। 

अमीर ने भी शादी को लेकर अपने मन में कई तरह के ख्याली महल बना रखे थे। वह जिंदगी की इन अनमोल घड़ियों को यादगार बनाना चाहता था, मगर इंसान के सोचने से क्या होता है होता तो हमेशा से वही है जो मंजूरे खुदा होता है। इसी तरह उसकी जिंदगी के इस अजीमुश्शान  मौके पर एक अजीब घटना घटी जो उसके दिल पर हमेशा के लिए नक्श हो गई। वक्त ने उस शूल के घाव को भर तो दिया मगर उसका निशान जिंदगी भर के लिए बन गया।





समय की सुंई को कोई रोक नहीं पाता है, वो अनवरत आगे बढ़ती रहती है उसी तरह आखिर इंतजार की घड़िया खत्म हुई और शादी का दिन आ ही गया। नियत तारीख को बारात ससुराल पहुंची। वहां पहुंचते ही बीवी की ओर से इस्तकबालिया फोन कॉल प्राप्त हुई, उसका दिल ओर खुशी से लबरेज हो गया। सभी तैयारियों व खुशी के आलम में रात गुजरी आखिर इंतजार की काली रात भी विदा हो गई।

जिस दिन का सभी को इंतजार होता है आखिर वह दिन आ पहुंचा, जो उसकी जिंदगी में अनमोल खुशियां लेकर आई। मगर एक बदनुमा दाग उसके दिल पर छोड़ गई, जिसकी याद ताजा होने पर आज भी अमीर का दिमाग घूमने लगता है।

सुबह मंगनी का प्रोग्राम था यहीं से घटना ने मोड लिया। मंगनी के लिए औरतों के साथ कुछ लडकियां भी आई जिनमें आफरीन भी शामिल थी जो उसकी होने वाली बीवी की खास सहेली होने के साथ-साथ कजन भी थी। आफरीन ने अमीर को मंगनी की अंगूठी पहनाई। गोद भराई में लड्डुओं से भरा थाल उसकी गोद में उंडेला अभी तक अमीर का दिल खुशी से बल्लियों कूद रहा था उस पर अचानक से  विराम लग गया। किसी ने उसकी पीठ पर मजाक में लडडूओं से खाली हुए थाली की दो-तीन दे मारी।

उसका दिल उचट गया कि जब समाज में इस तरह की मजाक पर रोक है तो ऐसा क्यूं हुआ। यहीं से घटना यू टर्न लेती है। उसका चेहरा जो खुशी से गुलाब की तरह खिला हुआ था सूखे पत्ते की तरह मुरझा गया। इस अनमोल घडी की सारी खुशियां काफूर हो गई। इसके बाद शादी का प्रोग्राम तो उसी तरह चल रहा था जैसे चलना चाहिए था मगर बस कमी इस बात की थी कि उसका मन चाबी से भरे खिलौने की चाबी खत्म होने पर जिस तरह वो निढाल हो जाता है उसी तरह वो भी सभी कामों को अंजाम दे रहा था।

सभी काम पूरे होने के बाद विदाई से पहले दुल्हन के घर पर जब उसे विदाई भोज पर बुलाया और ससुराल वालों की ओर से दुल्हे का मुंह मीठा करवाया जा रहा था, तभी उसके साथ आए मौसी के लडके ने बताया की जिसने सुबह थाली की मारी थी यही वह लड़की है। उसने जिसकी तारा इशारा किया वह आफरीन थी। इस पर अमीर ने आफरीन के हाथ से मिठाई खाने से मन कर दिया। मगर वो एक बार फिर आई तो उसने हाथ को झटक दिया और कहा कि तुमने मेरे थाली की मारी थी, मैंने तुम्हारी मिठाई नहीं खाई हिसाब बराबर। 

आफरीन जो अभी तक थाली वाली घटना से अनभिक्ष थी उसका जब सभी के सामने अपमान हुआ और वो भी बिना कारण के, वो कुछ नहीं बोली। चुपचाप अंदर जाकर अपनी सहेली (अमीर की बीवी) के पास जाकर बहुत रोई।

जब विदाई की बेला आई। अपनी सहेली को अलविदा करने आफरीन गाडी तक आई। सहेली को बैठाने के बाद उसने अमीर से कहा - जीजाजी आपने मेरे हाथ से मिठाई क्यों नहीं खाई, मुझसे ऐसी क्या गलती हुई, मैंनें आपके थाली की नहीं मारी थी। मगर अमीर ने सोचा कि वो झूठ बोल रही है इसलिए उसने इस बार पर गौर नहीं किया। मगर इसके बाद वो वहीं रो पडी। 

इससे अमीर का दिल उदास हो गया, वो सोचने लगा मैंने यहां आकर किसी का दिल दुखाकर सही नहीं किया। अगर इसने थाली की मारी भी तो मजाक मै, लेकिन अब हो भी क्या सकता था ? वो सोचने लगा कि वो यहां आया तो सभी का दिल जीतने के लिए था मगर पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाया। आखिर बारात ससुराल से वापस रवाना हुई।

अगले दिन अमीर अपनी बडी बहन के साथ शादी की फोटो एलबम देख रहा था जब आफरीन का फोटो आया तो उसने अपनी बहन को बताया कि कल इसी लडकी ने मेरे थाली की मारी थी इसका बदला मैंने इसके हाथ से मिठाई नहीं खाकर चुका लिया। ये बात जब उसकी बहन ने सुनी तो कहा, क्या कहा फिर से कहना ? तेरा दिमाग खराब हो गया है। थाली की मारने वाली आफरीन नहीं थी। मैं वहीं पर मौजूद थी।

जब घटना की वास्तविकता से परदा हटा तो फिर एक नया मोड आ गया कि जब मौसी के लड़के ने सही नहीं पहचाना था तो उसने  गलत क्यों बताया ?  अब उसे काटो तो खून नहीं। सोचा कि घटना बार-बार नया मोड क्यों लेती जा रही है ?

 कोई ओर समय होता तो उसे जैसे तैसे सहन कर लेता, मगर ये एक अजीब समय था। एक तो ऐसे ही बीवी से पहली बार मिलन की बेला थी उसमे ऐसे ही दो अजनबी आपस में मिलते है दूसरी तरफ ये घटना घटी भी तो आफरीन के साथ जो उसकी पत्नी की  खास थी।

आखिर उसने फिर एक नया रास्ता निकाला एक पेपर पर पूरी घटना लिखकर उससे अपनी बीवी को वाकिफ कराया। पेपर पढकर बीवी भी घटना से रूबरू हुई ओर कहा कि हकीकत में इसमें आपका कसूर नहीं है। शायद खुदा को यही मंजूर था। अगली सुबह अमीर की बीवी ने आफरीन को पूरी घटना से अवगत कराया तब उसे भी पूरी बात पता चली। 

अमीर ने आफरीन से गलतफहमी में हुई गलती के लिए माफी मांग ली। मगर अमीर सोच रहा था कि इसमें कसूर मौसी के लड़के का था या  हकीकत में खुदा को यही मंजूर था ?
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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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