कोरोना

कोरोना

रचनाकार : फकीर मोहम्मद 9414191786
सलाहकार : चन्द्रशेखर अग्रवाल 9314433100

किसका रोना ?
काहे का रोना ?
आजकल सोते-जागते बस,
कोरोना ही कोरोना

कोरोना वायरस डिजिज से
दिसम्बर 2019 को अस्तित्व में आया,
नाम कोविड 19 पाया
तब से लगातार मचा रहा कोहराम
इंसानी जिंदगी को कर दिया हराम

सबसे कहता कोरोना
कोई
रोड़ पर
ना होना
वरना पड़ेगा अपनों के लिए रोना।


Covid19
Corona Virus (Covid19)


चीन के वुहान का जन्मा जाया
महामारी बन आगे कदम बढ़ाया
अब फैल गई पूरी दुनिया में इसके आतंक की छाया
है ! मानवता के दुश्मन तू क्यों आया ?

तेरे कारण
घर, गलियां, गांव, शहर सब सूने हो गए
बस्ती बस्ती में कैद हर हस्ती हो गई
आज जिंदगी महंगी और दौलत सस्ती हो गई।

सपने में भी,
तू किसी का न होना,
नहीं चाहता कोई अपना खोना
बस ! बहुत हो गया,
पकड़ले अब तू भी कोई कोना
बिन बुलाए ज्यादा दिन
नहीं बन पाएगा मेहमान कोरोना।

तुझसे इतना ही कहना,
हमसे दूर ही रहना
जल्द ही पड़ेगा तुझे अस्तित्व खोना
नहीं चाहता दुनिया में तेरा कोई होना
ऐ कोरोना ! तुझे भारत में तो
जरूर पड़ेगा रोना।

जल्द ही
इतिहास के पन्नों में
काले अक्षरों में लिखा जाएगा
एक था कोरोना।


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Milan Tomic

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